होली का त्यौहार है
पिचकारी की धार है, फूलो की बोछार है,
गुन्जिया है गुलाल है, और ठंडाई की भरमार है।
ढोलक है मृदंग है, उत्साह का हुड़दंग है,
मन में बस विश्वास है, ये रंग रहे हर बार है।
भांग हो पर भंग ना हो, ये उमंग कभी कम न हो,
रंगो में डूबे रहे, जीवन कभी बेरंग ना हो।
आपस में यूँ मिलते रहे कि दूरियां बस अब कम हो,
गिला शिकवा रहे ना कोई, ऐसी नयी शुरुआत हो।
एक दूसरे का हाथ बने हम, सुख दुःख में सब साथ हो,
साथ चले हम साथ बढे हम और सबका ही उत्थान हो।
मन में चन्दन सी महक हो, दिल में नयी तरंग हो,
बोली में मिठास हो, ऐसा होली का त्यौहार हो।
अहंकार का दहन करे हम और विनर्मता का वहन हो,
अहंकार का दहन करे हम और विनर्मता का वहन हो,
खुशियों की सौगात हो, मन में हर्ष उल्लास हो।
ऐसा होली का त्यौहार हो।
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